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Spirituality and Reiki Healing | आध्यात्म और रेकी

इस संसार में कोई आस्तिक है तो कोई नास्तिक लेकिन नास्तिको की संख्या बहुत कम है , किसी इश्वर में विश्वास न रखना भी आस्तिकता ही है क्योंकि वे खुद पर विश्वास रखते है | आस्तिक अर्थात जो किसी न किसी इश्वर में विश्वास रखकर उनकी प्राथना किसी न किसी प्रकार से करते है | आस्तिक भी दो प्रकार के होते है एक है धार्मिक और दूसरा आध्यात्मिक | कोई व्यक्ति धार्मिक और आध्यात्मिक दोनों हो सकता हैं| आईये दोनों प्रकार के लोगो को जानते है

Reiki Healing

Spirituality and Reiki Healing

Reiki Meditation

Spirituality आध्यात्मिकता

आध्यात्मिकता व्यक्ति को ईश्वर के साक्षात्कार का एकमात्र सबसे आसन तरीका है | यह जरुरी नहीं की आध्यात्मिक व्यक्ति धार्मिक हो | आध्यात्म ( Adhyatm ) व्यक्ति के अर्धचेतन मन Subconscious Mind की एक स्थिति है , जिसमे व्यक्ति अपनी भावनावो और अंतरात्मा को ब्रम्हांड की उर्जा अर्थात ईश्वर से जोड़ता हैं | आध्यात्म में किसी पूजा पद्धति या भगवान की कोई बाध्यता नहीं होती है | आध्यात्मिकता किसी धर्म में बंधी नहीं हो सकती है , कोई धार्मिक या अधार्मिक , नास्तिक व्यक्ति भी आध्यात्म को अपना कर आत्मसाध कर सकता है | यह अर्धचेतन मन को ईश्वर से जोड़ने का निमित्त माध्यम है |

धार्मिकता Religion

धर्म एक व्यक्तियों का समूह है जो विशेष पूजा पद्धति किसी ईश्वर की साधना और पूजा को प्राथमिकता देता है | धार्मिक व्यक्ति आध्यात्मिक भी हो सकता है लेकिन वह आध्यात्म की उच्च स्तर पर पहुचने के बाद धर्म को कम महत्त्व देता है , क्योंकि वह आध्यात्म की शक्तियों को समझता है और अपने समय का सदुपयोग कर आध्यात्म को चुनता है | धर्म पिछले कई वर्षो से प्रचलित हिया और सभी धर्मो में समय समय पर विकृति और बदलाव आते रहे है जिससे की मूल धर्म बहुत समय पहले ही बदल चूका है | धर्म में आज के समय के अनुसार बहुत सी बेमतलबी रिवाज और संस्कृती का मेल हो जाने के कारन असल धर्म कोसो दूर रह चूका है | जरुरी नहीं की धर्म व्यक्ति को इश्वर से साक्षात्कार ही करा दे , जब तक धर्म में आध्यात्म का मिलन नहीं होंगा धर्म अधुरा रहेंगा |

Reiki Healing क्या है ? रेकी के फायदे

  • ब्रम्हांड में एक दिव्य उर्जा है , जिसे हम ईश्वर का रूप भी कह सकते है |
  • Reiki Healing एक आध्यात्मिक शक्ति है जो व्यक्ति के subconscious mind के द्वारा ब्रम्हांड में उपस्थित दिव्य उर्जा को कंट्रोल करती है , अर्थात हम अपनी अंतरात्मा से अपनी प्राथानाओ को ब्रम्हांड की उर्जा के द्वारा फलीभूत करते है
  • ब्रम्हांड की दिव्य उर्जा तक अपनी प्राथना को पहुचने के लिए हम अर्धचेतन मन का उपयोग करते है , हमरे अर्ध चेतन मन से निकलने वाली फ्रीक्वेंसी ब्रम्हांड में जाती है और फलीभूत होती है |
  • अर्धचेतन मन Subconscious Mind अवस्था को प्राप्त करने के लिए ध्यान या मेडिटेशन बहुत जरुरी है |
  • अर्धचेतन मन को हम बोलचाल की भाषा में दिल की आवाज , अंतरात्मा भी कह सकते है |

Reiki कैसे करे | Meditation | रेकी कैसे सीखे

रेकी या मैडिटेशन करने के लिए सबसे अहम् अवस्था अर्धचेतन मन को प्राप्त करना होता है | जिसके लिए हम एकांत में ध्यान लगाकर शून्य विचार की अवस्था को प्रपात करने की कोशिश करते है , जिसमे हमारे दिमाग को शून्य अर्थता कुछ भी न सोचने की की स्थिति में लाना होंगा | जब तक हमारा दिमाग कुछ न कुछ सोचता रहेंगा तब तक हम अर्धचेतना को नहीं पा सकते है | अर्धचेतना को पाने के लिए हमें शांत में ध्यान लगाकर हमें सिर्फ अपनी श्वाश पर ध्यान केन्द्रित कर शून्य अवस्था को प्राप्त करना होंगा , क्योंकि जब तक हमारा दिमाग काम करता रहेंगा तब तक हम Subconscious level mind को प्राप्त नहीं कर सकते है | इस प्रकार रोजाना हमें यह अभ्यास करते रहना होंगा , जब हम अर्धचेतना को प्रपात करने लग जाये तब हम ईश्वर से प्राथना भी कर सकते है जिसका फलीभूत होना निश्चित हो जाता है | हमरे शशीर में अर्धचेतना मन और दिमाग दोनों एक्सीलेटर और ब्रेक की तरह कार्य करते है , प्राथना करते वक्त आप जितना दिमाग से सोचेंगे उतना ही अर्धचेतन मन कमजोर होंगा | हमें अपने अंतरात्मा को जाग्रत करने के लिए अर्धचेतना में ही जाना होंगा , क्योंकि ब्रम्हांड में प्राथना को भेजने का काम अंतरात्मा अर्थात अर्धचेतन मन ही कर सकता है |

परिवार की जिम्मेदारिया | Responsibility of Family | sans Bahu ke jhagado ke karan

हवन यज्ञ क्यों किया जाता है ? Why do Hindus perform havan

why havan is important हमारे दिमाग में अक्सर यह प्रशन उठता है की आखिर हिन्दू धर्म में यज्ञ और हवन को पूजा पद्धति में इतना खाश महत्त्व क्यों दिया जाता है , इन सब कर्म्कंदो के पीछे क्या कोई लोजिक विज्ञानं भी है या सिर्फ रीती रिवाज ही है | जब हम किसी पंडित जी या जानकार से पूछते है तो वे बातो को घुमाफिराकर यही कहते है की यज्ञ से भगवन खुश होते हिया वातावरण सुगन्धित हो जाता है , वगैरह वगैरह | जब इस सवाल का जवाब नहीं मिल पाया तो यह सवाल सोच कर सो जाना ही उचित समझा, एक दिन रात के लगभग 3 बजे अचानक से एक ख्याल बनकर आया और अपने सवाल का उत्तर मिल गया | और पता चला की आध्यात्म और विज्ञानं एक ही है | इस प्रकार है :-

जिस प्रकार एक छोटा सा मोबाइल फोन दूर दुसरे मोबाइल फोन से बातचीत करा देता है , इसको समझना चाहिए , जो की विज्ञानं के फ्रीक्वेंसी माडूलेशन सिधांत के ऊपर कार्य करता है | मोबाइल फोन की फ्रिक्वेंसी की रेंज एक लिमिटेड होती है , जो की दूर दुसरे मोबाइल तक नहीं पहुच पति है , इसलिए मोबाइल की फ्रिक्वेंसी पहले मोबाइल टावर तक जाती है जहा उस लिमिटेड छोटी फ्रीक्वेंसी पर बड़ी फ्रिक्वेंसी का मोडूलेषण किया जाता है जो की दुरुस्थ टावर तक जाती है और वह से अन्य दुसरे मोबाइल फोन तक जाती है | ठीक इसी प्रकार इंसानों के अंतरात्मा से निकली हुयी प्राथना की फ्रीक्वेंसी भी ब्रम्हांड में आसानी से नहीं जा पति है , इसलिए हम अग्नि, यज्ञ, हवन, दीपक का पूजा पद्धति में उपयोग करते है| हमरे शरिर से निकालनी वाली प्राथना की फ्रिक्वेंसी पर अग्नि की उर्जा का विलोपन होता है और वह आसानी से ब्रम्हांड में फलीभूत होती है | इसी तरह इन्टरनेट के गूगल सर्च की तरह हम अपने प्रश्नों के उत्तर को भी ब्रम्हांड से प्राप्त कर सकते है |

सारांश

ईश्वर तक अपनी बातो को पहुचाने के लिए आध्यात्म ही सबसे सरल एक रास्ता है , जो कि रेकी और मेडिटेशन के द्वारा किया जा सकता है | अतः ध्यान चित्त लगाकर अपनी अंतरात्मा को जगाना ही हमारा लक्ष्य होना चाहिए | सभी धर्मो का सार आध्यात्म ही है|

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