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साइकोलॉजी ऑफ मनी बुक हिंदी में , जाने पैसो का मनोविज्ञान 6 तथ्यों में

मॉर्गन हसल की द साइकोलॉजी ऑफ मनी किताब पैसो के प्रबंधन के लिए सबसे उपयुक्त किताब है जिसमे बताया गया है की पैसा को कमाने से आमिर नहीं बना जा सकता है बल्कि उसे बचत कर निवेश कर आमिर कैसे बना जाता है |

साइकोलॉजी ऑफ मनी
साइकोलॉजी ऑफ मनी

वेल्थ वह पैसा होता है जो आपने खर्च नहीं किया उसको अपने भविष्य के कार्यों के लिए बचा करके रखा है । जो लोग लाखों कमाकर लाखों उड़ाते हैं वह लोग कभी अमीर नहीं बन सकते। आमिर वे बनते हैं जो यह सोचते हैं कि इन लाखों से मैं करोड़ कैसे बनाऊं अर्थात पैसा उसी के पास टिकता है जिसे इसकी साइकोलॉजी पता होती है इसी साइकोलॉजी को समझने के लिए मॉर्गन हासिल ने यह ब्लॉकबस्टर बुक लिखी है द साइकोलॉजी ऑफ मनी।

द साइकोलॉजी ऑफ मनी इन हिंदी

इस किताब साइकोलॉजी ऑफ मनी के 6 जरूरी अध्याय का जिक्र हम आपके साथ करेंगे जिससे कि आपका दिमाग और धन वेल्थ को लेकर बिल्कुल बदल जाएगा।

अपने व्यव्हारिक कला से आमिर बनो

आमिर बनने के लिए अगर पैसा कमाना जरुरी है तो उसको हैंडल करना पैसे का मैनेजमेंट एक कला साइकोलॉजी ऑफ मनी है जो कि आपका एक्सपेंड बिहेवियर पर निर्भर करती है। एक समय था जब एक सामान्य अमेरिकी नगरीक $400 की लॉटरी की टिकट खरीदना था। वे लोग यह सोचते थे कि अचानक से हमारे पास में पैसा आ जाएगा और हम अमीर हो जाएंगे लेकिन जो लोग लॉटरी से करोड़ों रुपए जीत जाते थे.

साइकोलॉजी ऑफ मनी
साइकोलॉजी ऑफ मनी

वे लोग सही तरीके से उसे पैसे को मैनेज नहीं कर पाते थे पैसा आता था अमीर बन जाते थे और वह पैसा खर्च भी हो जाता थे । और बाद में वापस गरीब बन जाते थे पैसा आने के बाद हमें फ्रीडम मिल जाती है इस समय हमारा एगो हमसे बोलता है कि जो अपने सारे शौक सोच रखे थे वह सब पूरे कर ले और हम वही करने लग जाते हैं|

उदाहरण के लिए आप यदि ₹30000 महीना कमा रहे हो तो आप वस्तुएं ईएमआई पर लेने लग जाते हैं और उसमें कई सारे ऐसे खर्चे होते जो की जरूरत के भी नहीं होते लेकिन वह आप करने लग जाते हो। और ऐसा करने से आप 30000 में से ₹25000 खर्च करने लग जाते हैं ईएमआई के ऊपर जिससे कि आप कभी भी एक अच्छी बचत नहीं कर पाते हैं।

दरअसल एक एक अवस्थित पैसे के मैनेजमेंट साइकोलॉजी ऑफ मनी के अनुसार अपने ईगो वाली वस्तुएं पर 80% तक खर्च कर देता है और जरूरी सामानों पर मात्र 20% ही खर्च करता है जो की पैसों के मैनेजमेंट के लिए साइकोलॉजी आफ मनी के अनुसार बिल्कुल गलत है।
इसलिए साइकोलॉजी आफ मनी के अनुसार पैसों का एक व्यवस्थित मैनेजमेंट बना ले की अपनी इनकम का 30% अपनी जरूरत के समान पर20% जिसे आप चाहते हैं ऐसी वस्तुएं जिन्हें आप चाहते पसंद करते हैं ऐसी वस्तु पर खर्च करें और बचा हुआ 50% बचा कर बचत के रूप में निवेश करें।


अब आप यह सोचे कि आपने जो 50% बचत है उसे कैसे निवेश करें कि वह बढ़े। जिससे कि वह मार्केट में डाल सकता है किसी ऐसी असेट्स में डाल सकता है जो कि भविष्य में लाभदायक होगी।

सफलता और गरीबी सिर्फ हार्ड वर्क और आलस्य से नहीं आती है

जरूरी नहीं है कि कोई सेलिब्रिटी या आमिर व्यक्ति है जिसे की बहुत ज्यादा मेहनत करने के बाद में ही सफलता मिली हो, हो सकता है उसका भाग्य फैक्टर काम कर गया हो और उसने कम मेहनत में सब कुछ पा लिया हो, इसलिए यदि कोई व्यक्ति अपने वर्तमान समय में संघर्ष कर रहा हो और सफल न हुआ हो तो इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि वह आलसी है|

हो सकता है कि उसका भाग्य खराब चल रहा हो, इसलिए आप अपने आप को जज ना कर अपने आप में वह क्वालिटी पैदा करो जिसे की आज लोग सक्सेसफुल बने हुए हैं और ऐसे सफल लोगों की बेस्ट क्वालिटीज को अपने आप में लाने की कोशिश करें।

पर्याप्त लक्ष्य

क्या आपने कभी अपने जीवन में ऐसा कोई लक्ष्य स्थापित किया है कि आपको इतना पैसा कमाना है या इस फील्ड में काम कर कर इस ऊंचाई तक पहुंचना है। क्या आपने जो सपने देखे हैं यदि वे पूरे हो जाएंगे तो क्या आप इसके बाद में रुकजाऊंगा लेकिन दरअसल लाइफ में हम ज्यादातर ऐसा नहीं सोचते कि हम इस लक्ष्य को पाले और फिर कुछ नहीं करना है क्योंकि हम लोग जानते ही नहीं है कि हमारा इनफ पॉइंट क्या है ।

साइकोलॉजी ऑफ मनी
साइकोलॉजी ऑफ मनी

जैसे की कोई व्यक्ति है जिसे एक्टर बनना है अपने जीवन में एक्टिंग करनी है जब वह फिल्म इंडस्ट्रीज में 20-25 फिल्में कर लेगा और अच्छा पैसा बना लेगा उसके बाद भी वह नहीं रुकेगा तब उसका लक्ष्य बदल जाएगा और वह अधिक फिल्में बनाईं और एक सुपरस्टार फिल्म मेकर बने क्योंकि हमारी जरूरत ही ऐसी चीज है जो कि कभी खत्म नहीं होती है।


हम आपको एक ऐसा उदाहरण बताते हैं कि अपने जीवन में इनफ अर्थात पर्याप्त की मीनिंग क्या होती है उदाहरण के लिए रजत गुप्ता एक अनाथ थे और उनका बचपन बहुत ही गरीबी में गुजरा था, लेकिन अपने उम्र के 40 पर दशक में यह दुनिया के सबसे नामचीन फार्म मैकेंसी एंड कंपनी के सीईओ बन जाते हैं। और अपने समय के सबसे सफलतम बिजनेसमैन में एक थे, इनकी 2008 में नेटवर्क 100 मिलियन डॉलर थी जिस पर हम 5% भी वार्षिक ब्याज दर जोड़े तो $600 प्रति घंटे इनकी इनकम थी|

इनके पास इतना पैसा था कि यदि यह पॉइंट पर आकर रुक भी जाते तो बहुत अमीर वाली जिंदगी व्यतीत करते लेकिन इन्हें अपना इनफ पॉइंट पता नहीं चला था और उसे समय यह अमेरिका के मल्टी इन्वेस्टमेंट बैंक गोल्डमैन सैच की बैंकर्स की टीम में थे। तब 2008 में फाइनेंशियल क्राइसिस आएगा जिसका इंपैक्ट गोल्डमैन सच कंपनी पर पड़ने वाला था|

और लॉर्ड ऑफ़ इन्वेस्टमेंट इंडस्ट्री के खिलाड़ी वारेन बुफेट ने निश्चय किया था कि वह इस कंपनी में 5 बिलियन डॉलर की हिस्सेदारी खरीदेंगे और आपको तो पता ही होगा कि वारेन बुफेट जिस कंपनी के शेयर खरीदने हैं उसे कंपनी के शेर उसके बाद रातों-रात बढ़ जाते हैं।


लेकिन यह बात पब्लिक में आती उसके पहले ही रजत गुप्ता को यह पता चल चुका था और उन्होंने पाच सेकंड के अंदर अपने एसोसिएट्स को फोन करके कहा की गोल्डमैन सच के 175000 शेर को खरीद लो, कुछ देर बाद वारेन बफे ने भी इस कंपनी में अपने 5 बिलियन की हिस्सेदारी का निवेश कर शेयर खरीदे और फिर यह बात पब्लिक में आग की तरह फैल गइ और गोल्डमैन सच के स्टॉक बहुत ऊपर बढ़ गए थे|

और रजत गुप्ता और राज रतन एसोसिएट ने करोड़ों रुपए कमाए लेकिन यह काम एक प्रकार से इलीगल था क्योंकि रजत गुप्ता इस कंपनी के मेंबर थे. और कोई भी इनसाइडर अपने कंपनी से इस तरह से प्रॉफिट नहीं कमा सकता है.

इसलिए यूएस सिक्योरिटी and exchange commission ने इन दोनों को इनसाइड ट्रेडिंग के जुर्म में जेल में डाल दिया और दोनों का कैरियर बर्बाद हो गया और सारा पैसा खत्म हो गया अब आप खुद सोचिए कि 100 मिलियन डॉलर के धनी को यह रिस्क लेने की जरूरत थी| आप हर्षद मेहता को भी देख सकते हो उसे भी यह पता नहीं था कि कब उसका इनफ पॉइंट आएगा और उसे रिस्क लेना बंद करना होगा। इंसान के जीवन में इनफ पॉइंट का पता नहीं होने के कारण इसी प्रकार से नुकसान होता है।

इसलिए आप अभी एक पेन और कॉपी उठाएं और यह तय कर लेकर आपको जिंदगी में क्या-क्या करना और कहां तक करना है उसके बाद अपने लाइफ को जीवन को बिंदास जिए।

The Man in the car paradox

कार्ल पीटर पिलमर एक अमेरिकी सोशियोलॉजिस्ट है इनकी बुक है 30 लेसन आफ लिविंग ।
जिसके लिए उन्होंने 1000 पुराने ओल्ड एज अमेरिकंस का इंटरव्यू लिया जिसका रिजल्ट यह था कि उन 1000 लोगों में से एक ने भी यह नहीं बोला कि की लाइफ में असली खुशी तब मिलेगी जब आप बहुत मेहनत करोगे और इतना पैसा कमा लेंगे की वे सारी चीज आप खरीद सकते हो जो कि आप बड़े-बड़े अमीर लोगों के पास देखकर इंस्पायर होते हो।


उन्होंने बताया कि यदि आप अपनी फैमिली को क्वालिटी टाइम दे रहे हो तो यही लाइफ की अपीरियंस है इससे ज्यादा खुशी जीवन में कभी कहीं नहीं मिलेगी।


उदाहरण के लिए अपने एक चाय की तापी पर चाय पीते हुए एक फेरारी गाड़ी को अच्छी तब आप यही चाहोगे कि काश आपके पास भी फेरारी कर होती लेकिन आपने 2 सेकंड भी उसे कर में बैठे हुए व्यक्ति के बारे में नहीं सोचा अब आप अमेजिंग कीजिए कि यदि आप ऐसी कर खरीदोगे तो कोई आपको दिखेगा, जी नहीं बिल्कुल नहीं दरअसल इस दुनिया में किसी भी इंसान को किसी दूसरे इंसान के पैसों से फर्क नहीं पड़ता है बल्कि फर्क पड़ता है की आपको कुछ ऐसा करना है जिससे कि पब्लिक आपको एडमायर करें आपकी रिस्पेक्ट करें, आपकी तारीफ करें और यह सिर्फ इंटेलिजेंस से होगा|

इसके बाद में कोई भी आपको इसलिए याद नहीं करेगा कि आपके पास में कौन सी गाड़ी है बल्कि लोग आपको इसलिए याद रखेंगे कि जब आप लोगों से मिलेंगे तो किस तरह से उनसे इंटरेक्ट होते हैं और अपनी इंटेलिजेंस और बिहेवियर साइकोलॉजी ऑफ मनी से किस प्रकार से उन्हें प्रभावित किया है।

र्थात यह नहीं समझना चाहिए कि आपके पैसे को देखकर लोग आपको ऐड मार करेंगे बल्कि आपको फॉलो करना और इज्जत देने का काम आपकी इंटेलिजेंस आपका व्यवहार ही करेंगे।

Save For Nothing

इस किताब में एक लाइन लिखी है कि यू कैन गेट रिच विद स्मॉल सैलरी बट नो चांस की विदाउट सेविंग। अगर आप जीवन में लगातार सेविंग कर रहे हो तो आप बहुत सही कर रहे हो जिससे कि आप भविष्य में जरूर धनी बनोगे। क्योंकि जिस प्रकार से 2020-21 में कोविद पांडेमिक आया था उसे वक्त जिन लोगों के पास अपनी सेविंग थी वह आसानी से गुजर कर सके और जिन लोगों के पास सेविंग नहीं थी वह बहुत ही गरीबी में चाहिए और आने वाला समय भी उनका बहुत ही कष्टकारी था।

अनुशासित दिनचर्या

अगर आप कुछ ऐसा कर रहे हो जिसमें आपको मजा आता है लेकिन उसका आपने कोई रूटिंग दिनचर्या नहीं बना के रखा है उसके लिए कोई डिसिप्लिन या शेड्यूल नहीं है तो एक समय पर आपको वही काम बोरियत महसूस होगा। और आप उसे कम से दूर भागोगे जिसका रिजल्ट यह होगा कि पूरी जिंदगी भर आप कभी उसे कम से हैप्पीनेस अनुभव नहीं कर पाओगे इसलिए सारांश यह है कि एक सफल और वेल्थी लाइफ जीने के लिए लाइफ मैनेजमेंट और साइकोलॉजी ऑफ मनी का भी बहुत बड़ा रोल है।

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