एक सामान्य इंसान के दिमाग में प्रतिदिन 5000 से लेकर 60000 विचार तक आते हैं। लेकिन क्या कभी आपने यह सोचने की कोशिश की है कि आखिर यह विचार कैसे पैदा होते हैं । मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि इन सभी विचारों में से 95% से 98% तक विचार रिपीट होते हैं और इनमें से दो से पांच प्रतिशत ही नये विचार का आगमन होता है। आखिर हमारे दिमाग में इतने सारे विचारों की उत्पत्ति कहां से होती है।
Where Do Our Thoughts Come From
सबसे पहले अपनी आंखों को बंद कीजिए अब एक ऐसे रंग को सोचिए जो कि आपने आज तक कहीं नहीं देखा है एक ऐसा रंग जो की बिल्कुल नया हूं सोचिए क्या हुआ।
आप नहीं सोच पाए लेकिन अब फिर से एक बार कोशिश करो और अपनी आंखें बंद करके लाल रंग को देखने की कोशिश करो तो इस बार आपके दिमाग में एक सेकंड भी नहीं लिया और और तुरंत ही लाल रंग आपकी आंखों के सामने आ गया तो इसका मतलब यही हुआ कि आप वही सोच सकते हैं जो कि आज तक आपने इस दुनिया में देखा हो।

अर्थात हमारे भी विचारों का सीधा कनेक्शन हमारे भूतकाल में हुई घटनाओं से जुड़ा होता है। दरअसल जब हम इस संसार में जन्म लेते हैं । तब से ही हम जो भी देखते हैं सुनते हैं या फिर कुछ अनुभव करते हैं तो उसका हम विचारों का बबल बनाते हैं और जैसे-जैसे हम बड़े होते जाते हैं वैसे-वैसे विचारों का बबल भी बड़ा होते जाता है और यह बबल हमारे भूतकाल के अनुभव से बनता है लेकिन जो आपने देखा या सुना ही नहीं है उसे कैसे सोचे।
विचार कैसे पैदा होते हैं
हम आपको एक रहस्यमई बात बताते हैं जिससे कि आप वह भी सोच लोगे जो की आपने आज से पहले कभी नहीं देखा या सोचा होगा।
एक बार अपने आसपास की चीजों को देखें यह चीज किसी ने किसी व्यक्ति ने बनाई हुई है आप अपने मोबाइल को ही देख लीजिए जिसने भी इसे बनाया है उसके पास ऐसा विचार कैसे पैदा होते हैं ।
उसने कैसे अपने दिमाग में इस फोन को सोचा होगा जो कि उसे समय तो था ही नहीं।
निकोला टेस्ला एक महान वैज्ञानिक और विचारक थे वे कहते हैं कि उनको इस यूनिवर्स की एक अदृश्य शक्ति से प्रेरणा मिलती है जो उनको नए-नए विचार देती थी जिसकी मदद से उनकी समस्या कुछ ही समय में हाल हो जाती थी बात यहां पर सिर्फ निकोला टेस्ला कि नहीं है आप किसी भी वैज्ञानिक या बिजनेसमैन से पूछेंगे तो जानेंगे कि उन सबके पास एक और साधारण विचार था जिसने उनको महान बनाया लेकिन यह विचार कैसे पैदा होते हैं यही सबसे बड़ा सवाल है।
ईसा पुर्व की पांचवी शताब्दी पूर्व में अल्कामियान ऑफ़ क्रोटोन ने पहली बार बताया था कि मानव का मस्तिष्क सोचता है और विचारों को भी उत्पन्न करता है उसके बाद अन्य कई संशोधन कई सदियों तक नहीं हुआ। और फिर 20वीं शताब्दी के आरंभिक काल में ऑथर ओ लवजॉय ने विचारों का ऐतिहासिक मुहावरा निकला था उन्होंने यह बताया था कि छोटे-छोटे विचारों अर्थात सूक्ष्म विचारों के समूह से विचार बनते हैं.
लेकिन इसे भी पहले सर्वप्रथम ऋषि कणाद ने विचारों के बारे में बताया था। ऋषि का नाथ का नाम उनकी खोज के कारण ही पड़ा था उन्होंने सर्वप्रथम कण नामक अनु की बात की थी और बताया था कि समस्त संसार एक-एक कण का जोड़ है इस कण को हम एटम कहते हैं।
कण नाम से ही उनका नाम ऋषि का नाथ पड़ा था उन्होंने ही दर्शनशास्त्र का आरंभ किया था और उन्होंने लिखा था मनुष्य के मस्तिष्क के भी भीतर असंख्य विचार चलते ही रहते हैं आप कभी भी नॉर्मल सिचुएशन में विचार शून्य नहीं हो सकते उन्होंने यह भी कहा था कि विचार अर्थात मन और मन की गति अति सूक्ष्म और अति शक्तिशाली है कि सामान्य मनुष्य उसे कंट्रोल ही नहीं कर सकता विज्ञान तो केवल मनुष्य के मस्तिष्क की नसों में चलते विचारों की गति का अनुमान लगाते हैं।
लेकिन हम स्पिरिचुअलिटी आध्यात्मिकता की नजर से देखें तो मनुष्य के विचारों की गति 24 लाख किलोमीटर प्रति सेकंड है और यह बढ़कर 2 करोड़ किलोमीटर प्रति सेकंड तक जाती है अर्थात प्रकाश की गति से भी कई गुना अधिक है सबसे पहले तो इस बात पर ही विश्वास करना कठिन होगा और इसका कारण है कि हम बचपन से पढ़ने आए हैं कि प्रकाश की गति से अधिक किसी भी चीज की गति नहीं हो सकती है इसलिए विश्वास करना थोड़ा कठिन है.

लेकिन वैज्ञानिक यह भी कहते हैं कि हमारा ब्रह्मांड लगातार फैल रहा है और इतनी तेजी से फैल रहा है कि प्रकाश की गति भी इसके सामने कुछ नहीं है। और अब सवाल यह उठता है कि ब्रह्मांड के फैलने की गति प्रकाश की गति से अधिक कैसे हो सकती है तो आपको बता दे की इस यूनिवर्स दुनिया में कई ऐसी चीज हैं जिनको विज्ञान भी ठीक से समझ नहीं पाया है। और उसी में से एक है हमारा मस्तिष्क।
क्वांटम फिजिक्स के मुताबिक इस यूनिवर्स में मौजूद हर वस्तु एनर्जी है यहां तक कि आप और मैं भी एक एनर्जी ही है और उसी प्रकार हमारे विचार भी एनर्जी है और एनर्जी ऊर्जा कभी भी नष्ट नहीं होती है वह सिर्फ एक रूप से दूसरे रूप में ट्रांसफर होती है हम जो भी बोलते हैं जो भी करते हैं जो भी सोचते हैं उससे एनर्जी पैदा होती है
और फिर वह एनर्जी पूरे ब्रह्मांड में गति करती है और हर एक एनर्जी की एक फ्रीक्वेंसी होती है। और जब कोई दिमाग उसे फ्रीक्वेंसी से सोचता है तो वह विचार ब्रह्मांड से तुरंत उसे व्यक्ति के मस्तिष्क में आ जाता है। और व्यक्ति उसे काम में लेना शुरू कर देता है.
इसलिए स्वामी विवेकानंद जी ने कहा है कि विचार दूर तक यात्रा करते हैं वह ब्रह्मांड में तब तक रहेगा जब तक कोई दूसरा दिमाग उसे विचार को पकड़ नहीं लेता हमारा दिमाग 100 अब से भी ज्यादा न्यूरोन से बना है। और यह न्यूरो एक विशेष प्रकार के रसायन उत्पन्न करते हैं और उससे पहले विद्युत तरंगे उत्पन्न होती है जो की एक न्यूरो अपने नजदीकी न्यूरो को ट्रांसफर करता है और इस प्रकार से एक वेल ऑर्गेनाइज्ड चैन बनती है जिससे विचार उत्पन्न होते हैं.
इसके साथ ही जब यह न्यूरोन एक्टिव होते हैं तब विचारों का उद्गम होता है लेकिन उसका भी एक पैटर्न होता है जैसे हम घर पर है तो उसके ही अनुकूल विचार उत्पन्न होते हैं कभी रिश्तो तो कभी दोस्ती तो कभी प्रेमी या प्रेमिकाओं के साथ है तो इस अनुकूल यह न्यूरॉन्स अपने विद्युत तरंग उत्पन्न करता है जिससे उसे स्थिति के अनुकूल विचार उत्पन्न होते हैं विज्ञान यह भी कहता है कि किसी कारण से समूह में जब लोग एक ही स्थान पर होते हैं तब उनके विचार एक समान होते हैं.
मन में गलत विचार आने से कैसे रोके
जैसे किसी हम धार्मिक स्थान पर पर जाएंगे तो आप को एक शांति का अनुभव होगा क्योंकि वहां पर सभी की विचार एक प्रकार के होंगे ऋषि का नाथ के वैशेषिक सूत्र में स्पष्ट बताया गया है कि भोजन एवं स्थान का विचारों में महत्वपूर्ण योगदान है जैसे हम किसी ऐसे स्थान पर गए समझो कि जंगल में गए तो हम उसी तरह शांति का अनुभव करते हैं जैसी शांति जंगल में होती है मतलब कि आपके आसपास का एनवायरमेंट कैसा है उससे हमारे विचार भी प्रभावित होते हैं इतना ही नहीं आप क्या कहते हैं वह भी आपके विचारों को प्रभावित करता है.
नकारात्मक विचार कैसे दूर करें
जिस दिन आपने हेल्दी फूड खाया होगा उसे दिन आपके विचार भी हेल्दी आएंगे इसके अलावा संगत से भी हमारे विचारों में परिवर्तन आता है इसीलिए कहते हैं कि जैसी संगत वैसी रंगत होती है यदि हमारा उठना बैठना किसी नेगेटिव व्यक्ति के साथ है तो इसके बाद निश्चित है कि हमारा भी वैचारिक पतन होने वाला है संगत हमेशा अच्छे और पॉजिटिव लोगों की रखनी चाहिए।
मन में अच्छे विचार कैसे लाये
विचारों पर सामान्यतः अपना कोई नियंत्रण नहीं होता है लेकिन वह व्यक्ति अपने मन को वश में कर लेता है वह व्यक्ति अपने विचारों को कंट्रोल कर सकता है जो व्यक्ति बहुत समय से मेडिटेशन ध्यान करता है. या विचार सुनने की अवस्था प्राप्त कर लेता है उसके लिए विचारों को वश में करना सरल है अब तक आपको यह पता चल गया कि विचार किस वजह से और विचार कैसे पैदा होते हैं |
अब बात करते हैं विचारो का हमरे जीवन में क्या प्रभाव होता है जब विचार हमारे अंदर पैदा होते हैं तब वैसे ही विचार हमारे कामों में भी दिखाई देते हैं. और इस काम के अनुसार हमें रिजल्ट भी वैसा ही मिलता है नेगेटिव सोच वाला व्यक्ति अगर कोई काम करेगा तो अवश्य वह उसके काम को भी प्रभावित करेगा और अंत में हमें रिजल्ट भी नेगेटिव ही देखने को मिलेगा.
सारांश
अगर आपका विचारों पर कंट्रोल है तो आप किसी भी समय नेगेटिव विचारों को कंट्रोल करके उन्हें पॉजिटिव विचारों में बदल सकेंगे. जिससे आपको रिजल्ट पॉजिटिव मिलेगा क्योंकि एक सिद्धांत की हम जो भी विचार करते हैं उसी का फिजिकली रूप प्रकट होता है क्योंकि समस्त भौतिक संसार में जो भी भौतिक वस्तुएं हम देखते हैं वह सभी विचारों के माध्यम से ही प्रकट होती है.
जैसे कि हमारे विचार होते हैं वैसे ही चीज हमारे समक्ष उत्पन्न होगी।
अब आपको पता चल गया होगा कि विचार कैसे पैदा होते हैं और हमारे विचारों में कितनी शक्ति है इसलिए हमें अपने विचारों को कंट्रोल करना सीखना चाहिए और अपना भविष्य अच्छा बनाईए। धन्यवाद