इस संसार में दो तरह की पूजनीय और चमत्कारिक सकती है एक है, मां दुर्गा सप्तशती पाठ माता और दूसरी है परमपिता परमेश्वर । और पूरी दुनिया में हर संस्कृति में हर धर्मों में मातृ शक्ति की आराधना एवं पूजा किसी ने किसी विधि से जरूर की जाती है |

हमारे देश में मां दुर्गा के सातों स्वरूपों की पूजा नवरात्र में एवं साल भर की जाती रही है और मां दुर्गा सप्तशती अपने भक्तों का अपने पुत्रों का अपनी संतानों का हर परिस्थिति में संकट का हरण करती है जो भी कठिनाई अपनी संतान पर आती है उसे मां दुर्गा सप्तशती करती है।
मां दुर्गा सप्तशती पाठ को करने से देवी मां अपने भक्तों की इच्छाएं पूर्ण करती है इस ग्रंथ के प्रत्येक पृष्ठ पर तंत्र सम्मत बीज मंत्रों को लिखा हुआ है यह पवित्र ग्रंथ मार्कंडेय पुराण का एक महत्वपूर्ण भाग है संस्कृत में मां दुर्गा सप्तशती के पाठ को एक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है मां दुर्गा जी का यह सप्तशती ग्रंथ शुद्ध संस्कृत और हिंदी में भी उपलब्ध है एवं इसे पढ़ते वक्त अपने मन में श्रद्धा का भाव रखते हुए पाठ करना चाहिए।
दुर्गा सप्तशती पाठ कैसे करें
मां दुर्गा सप्तशती पाठ को करने के लिए प्रातः एवं स्वयं किसी भी समय स्नान करने के बाद में शुद्ध आचरण करते हुए शुद्ध वस्त्र धारण कर एक तांबे के पात्र में या किसी अन्य पात्र में शुद्ध जल ले एवं घर की पूजा स्थानीय एकांत स्थान में बैठकर जल के छींटे देकर आसन पर शुद्धि पूर्वक बैठ जाए।

इसके पश्चात भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए अपने ऊपर जल के छींटे दें एवं तीन बार अपने मुख में जल के छींटे डाले और दीपक जला ले गए तत्पश्चात श्री गणेश वरुण देवता सूर्य देवता एवं आदि नौ ग्रहों को मन में प्रणाम कर उनका स्मरण करें और उन्हें निमंत्रण दे इसके बाद मां दुर्गा जी की मूर्ति या चित्र के ऊपर धूप दीप फूल माला मिठाई आदि से पूजा अर्चना करते हुए भक्ति भाव के साथ अर्पण करें इसके बाद में सब सर्वप्रथम सप्तशती पाठ करने हेतु ध्यान को एकाग्र करना जरूरी है मन को एकाग्र कर मां दुर्गा सप्तशती को प्रणाम करें।
इसके पश्चात मां दुर्गा सप्तशती अध्याय 1 का पाठ करें अकरम सहा धीरे-धीरे 13 अध्याय का पाठ पूर्ण करें आप इन अध्याय का पाठ को प्रतिदिन करते हुए नवरात्र में या किसी भी दिन एक के बाद एक कर सकते हैं उसके बाद आप देवी शक्ति या रहस्य पढ़े और अंत में आरती एवं क्षमा प्रार्थना करें यह संपूर्ण पाठ को करने की विधि है।
यदि आपके द्वारा पूर्ण रूप से तेरह पाठ का पाठ ना किया जा सके तो कम से कम आप दूसरा तीसरा चौथा अध्याय का पाठ भी किया जा सकता है और यह साधन रखनी चाहिए की पाठ करते हुए किसी व्यक्ति से कोई बात न करें नहीं बोले यदि बोलना पद जाए तो पुन उसे पाठ का पठन करें इस प्रकार के पाठ करने से मन दुर्गा सप्तशती माता अपनी भक्तों की i सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती है।
दुर्गा सप्तशती पाठ 1 अध्याय PDF
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दुर्गा सप्तशती पाठ के लाभ
ऐसी मान्यता है कि हर अध्याय के पाठ का अलग-अलग फल मिलता है। इसलिए आपकी जैसी मनोकामना है उस अनुसार दुर्गा सप्तशती पाठ के अध्याय का नियमित पाठ करें। तो आइये देखें किस अध्याय के पाठ का क्या फल मिलता है।
- प्रथम अध्याय के नियमित पाठ से चिंतावो से मुक्ति मिलाती है।
- दूसरे अध्याय के पाठ से कोर्ट केस और विवादों में विजय प्राप्त होती है। लेकिन ध्यान रखें कि देवी उन्हीं की सहायता करते हैं जो सच्चे और ईमानदार होते हैं।
- शत्रु और विरोधियों से परेशान हैं तो नियमित तीसरे अध्याय का पाठ करें।
- मां दुर्गा की भक्ति और कृपा द्रष्टि के लिए चतुर्थ अध्याय का पाठ करें।
- पांचवें अध्याय के पाठ से देवी की असीम अनुकंपा प्राप्त होती है। मां भक्तों की समस्या दूर करती है।
- छठे अध्याय के पाठ से भय, शंका, ऊपरी बाधा से मुक्ति मिलती है।
- विशेष मनोकामना पूर्ण करने के लिए सातवें अध्याय का पाठ करें। इस अध्याय में देवी द्वार चंड मुंड के वध की कथा है।
- वशीकरण और मनचाहा साथी पाने के लिए आठवें अध्याय का पाठ करें। इस अध्याय में रक्तबीज के वध की कथा है।
- नवमें अध्याय का पाठ खोए हुए व्यक्ति को वापस लाने के लिए और संतान सुख के लिए कारगर माना गया है। इस अध्याय में निशुंभ के वध की कथा है।
- दसवें अध्याय में शुंभ वध की कथा है। इस अध्याय के पाठ से रोग, शोक का नाश होता है। मनोकामना पूर्ति के लिए भी इस अध्याय का पाठ कर सकते हैं।
- ग्यारहवें अध्याय के पाठ से व्यापार में लाभ एवं सुख शांती की प्राप्ति होती है।
- बारहवें अध्याय के पाठ से मान-सम्मान एवं सुख संपती का लाभ मिलता है।
- तेरहवें अध्याय के पाठ से देवी की भक्ति एवं कृपा द्रष्टि प्राप्त होती है।
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