हमारे लिए यह खुशी की बात है कि नीम करोली बाबा ने विश्व में हमारे देश का नाम रोशन किया है।
यह वह बाबा है जब भी इनका कोई भक्त इन्हें भगवान का दर्जा देते हैं तो वह उसे रास्ता दिखाते हैं कि मैं भगवान नहीं हूं बल्कि भगवान तो आप सबके अंदर है इस ब्रह्मांड में हर कण-कण में भगवान है।
बाबा की प्रसिद्धि एवं सिद्धि इतनी प्रबल थी कि दुनिया के जाने-माने ताकतवर और लोग भी नीम करोली बाबा को अपना गुरु मानते है। जैसे कि एप्पल कंपनी के मालिक स्टीव जॉब्स और फेसबुक कंपनी के मालिक मार्क जुकरबर्ग भी नीम करोली बाबा को अपना गुरु मानते थे।

एप्पल कंपनी के मालिक स्टीव जॉब्स ने बहुत पहले बताया था कि वे नीम करोली बाबा को बहुत पहले से जानते और मानते हैं और उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला है।
नीम करोली बाबा क्यों प्रसिद्ध है?
एक बार भारत देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका में फेसबुक के कार्यालय में पहुंचे तब मार्क जुकरबर्ग ने ही उन्हें बताया कि करीब 10 साल पहले जब वे बड़े परेशान थे फेसबुक को लेकर चीजें अच्छी नहीं हो रही थी तब उन्हें स्टीव जॉब्स ने यह सलाह दी थी , कि तुम भारत जाओ और भारत में कैंची धाम जाओ और कैंची धाम में जाकर नीम करोली बाबा के आश्रम जाओ।
जिसके बाद मार्क जुकरबर्ग भारत आए और लगभग 1 माह रुके। और इस 1 महीना रुकने के बाद आखिरकार वे कैची धाम पहुंचे। जब मार्क जुकरबर्ग कैची धाम पहुंचे थे तब नीम करोली बाबा को समाधि लिए या स्वर्गवास हुए 32 साल हो चुके थे लेकिन वे वहां गए |
जिसके बारे में कैंची धाम के एक स्टाफ ने बतौर इंटरव्यू में बताया कि एक रोज उनके पास जो कि फेसबुक के सामाजिक काम जो देखते हैं वहां से उन्हें एक फोन आया था की मार्क नाम का एक व्यक्ति कैची धाम आना चाहता है|
तब उन्हें पता नहीं था कि यह मार्क जुकरबर्ग फेसबुक के मालिक है। तो वहां मार्क जुकरबर्ग एक किताब कॉपी और पेन लेकर पहुंचे थे ना कोई कपड़ा ना कोई सामान खाली हाथ पहुंचे थे। वहां पर सिर्फ 1 दिन के लिए गए थे लेकिन मौसम खराब होने के कारण उन्हें वहां 2 दिन रुकना पड़ा।
2 दिन बाद जब वे वहां से गए तब उन्होंने बताया कि उनकी सभी समस्याओं का हल होने लगा और सारी चीजें बदलने लगी।

इसके अलावा हॉलीवुड की नामचीन हीरोइन जूलिया रॉबर्ट्स भारत आकर नीम करोली बाबा की कैंची धाम में आकर कई दिन गुजारे हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री गोविंद बल्लभ पंत भी नीम करोली बाबा के आश्रम हमेशा जाते रहे और उनका परिवार आज भी नीम करोली बाबा की कृपा और संरक्षण में ही पल और बढ़ रहा है ।
नीम करोली बाबा की कहानी
नीम करोली बाबा का असली नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था यह उत्तर प्रदेश के अकबरपुर गांव में 1900 के आसपास जन्मे थे ।और 11 सितंबर 1973 को अपने शरीर को त्याग दिया और समाधि ली।
1940 के आसपास उत्तराखंड में भवानी से कुछ दूर एक छोटी सी घाटी के पास नीम करोली बाबा पहुंचते हैं और वे वहां पर सड़क किनारे बैठे होते हैं दूर पहाड़ी पर उन्हें एक शख्स दिखाई देता है| वह उसे आवाज देते हैं की पूरण जरा यहां आ, जोर से आवाज देने पर वह युवक सड़क किनारे बैठे हुए नीम करोली बाबा के पास आता है|
लेकिन वह हैरान परेशान हो जाता है क्योंकि उसने इन बाबा को पहली बार देखा था और आखिर इन बाबा को मेरा नाम कैसे पता चला उसकी हैरानी को देखते हुए बाबा ने कहा कि मैं तुम्हें कई जन्मों से जानता हूं तुम इन चीजों को छोड़ो तुम एक काम करो मुझे भूख लगी है , और तुम घर से खाना ले आओ|
इसके बाद पूरन घर भागा भागा जाता है और और अपनी मां को बताता है कि एक ऐसे बाबा है कि मुझे इतने जन्मों से जानते हैं और उन्हें खाना दे दो।
घर में उस वक्त दाल रोटी बनी हुई थी वह एक गरीब परिवार था वह वही लेकर आता है और बाबा को खाना देता है।
इसके बाद बाबा पूरन से कहते हैं कि तुम और दो चार लोगों को गांव से लेकर आओ उसके बाद पूरन जाता है और दो चार लोगों को गांव से लेकर आता है इसके बाद बाबा उनके साथ एक नदी पारकर एक जंगल में पहुंचते हैं |
जंगल में पहुंचने के बाद एक जगह पर इशारा करते हैं और पूरण और बाकी लोगों से कहते हैं कि इस पत्थर को थोड़ा को दो इसके पीछे एक गुफा है लेकिन पूर्ण बड़ा हरा होता है क्योंकि उसने पूरा बचपन वही गुजारा लेकिन वहां आज तक कभी कोई गुफा दिखाई नहीं दी लेकिन बाबा कहते कि तुम खोदो इसके बाद खुदाई शुरू होती है |
और एक पत्थर हटता है उसके पीछे एक गुफा दिखाई देती है सारे गांव वाले चौक जाते हैं क्योंकि उन्होंने पूरी जिंदगी गुजार दी लेकिन उन्हें इस गुफा के बारे में कभी पता नहीं चल पाया था और एक अजनबी बाबा यहां पहुंचते हैं और यह बुक गुफा सामने आती है।
इसके बाद नीम करोली बाबा ने कहा कि इस गुफा के अंदर एक धूनी भी है जहां एक धूनी थी जो कि ऐसा लगता है कि अभी अभी यहां पर कोई धूनी जलाकर गया हो वहां पर धूनी के साथ एक चिमटा भी पढ़ा था इससे गांव वाले पूरे हैरान परेशान हो जाते हैं यह सारी चीजें क्या है।
जिस पर बाबा कहते हैं कि इसमें हरण वाली कोई बात नहीं है यह गुफा हनुमान जी की है और यहां पर हनुमान जी आकर धनी लगाते थे। इसके बाद बाबा अगला आदेश देते हैं कि उस पत्थर के पीछे की गुफा को नदी के पानी से साफ कर इसका शुद्धिकरण किया जाए उसके बाद उस गुफा का शुद्धीकरण कर वहां पर हनुमान जी को विराजमान किया जाता है फिर उन्होंने बताया कि यह जो गुफा है सोमवारी बाबा की तपस्थली है।
धीरे-धीरे वह जगह मसहुर होती गई, और बाद में यही वह जगह कैंची धाम के नाम से प्रसिद्ध हुई। जहां दुनियाभर के भक्तों पहुंचते हैं और और नीम करोली बाबा का आशीर्वाद पाते हैं। उस गांव में एक वक्त गोविंद वल्लभ पंत एक बहुत बड़े नेता थे जो कि केंद्रीय मंत्री भी थे वह और नारायण दत्त तिवारी जोकि उत्तराखंड और यूपी के भी चीफ मिनिस्टर थे यह दोनों बाबा के बहुत बड़े भक्त थे।
एक बार की बात है कि अचानक गोविंद बल्लभ पंत का निधन हो गया क्योंकि वह बीमार थे यह बात जब नीम करोली बाबा तक पहुंची तो वह सुनने के बाद कहते हैं कि यह खबर गलत है क्योंकि अभी गोविंद बल्लभ पंत का समय नहीं आया है उसे अभी और जीना है जबकि यह खबर बहुत ही सीरियसली फैली थी कि उनकी हालत बहुत नाजुक है और वह मरने वाले ही हैं। लेकिन बाबा के कहने के बाद यह बात सच साबित हुई और गोविंद बल्लभ पंत स्वस्थ होकर बिल्कुल ठीक हो गए।
नीम करोली बाबा के चमत्कार | Neem Karoli Baba Miracle
1- ऐसा ही एक किस्सा है कि एक बार नीम करोली बाबा दिल्ली में थे और दिल्ली के बिरला मंदिर में वे रुके हुए थे। तब बहुत सारे भक्त और लोग उनके पास आ रहे थे उनमें कुछ बांग्लादेशी भी थे। बांग्लादेश और उन बांग्लादेशियों में से एक व्यक्ति हरण परेशान बाबाजी के पास आता है और वह कुछ कहना चाहता है|
किंतु इसके पहले ही कुछ कहता अचानक से नीम करोली बाबा उसकी तरफ देखते हैं और कहते हैं कि तुम परेशान मत हो तुम्हारा भाई दुश्मनो की कैद से जल्दी बाहर निकलेगा, और वह अपने देश का शहंशाह बनेगा और अपने देश पर राज करेगा।

और इतना कहने के बाद भी कहते कि तुम यहां से जाओ और अपना समय बर्बाद मत करो और भाई की अगवानी की तैयारी करो यह बात सुनकर वह शख्स और ज्यादा परेशान हो जाता है, क्योंकि अभी हालात यह है कि उस शख्स का भाई अभी पाकिस्तान की मियांवाली जेल में बंद है|
और पाकिस्तान की सरकार ने उसे फांसी की सजा मुकर्रर कर रखी है और कभी भी उसकी सजा पर शामिल हो कर उसे फांसी हो जाएंगी। और बाबा कह रहे हैं कि तुम उसकी अगवानी की तैयारी करो और वह देश पर राज करेगा।
इसके बाद वह शख्स वहां से चला जाता है बाद में वह शख्स बताता है कि कि वह कौन था वह व्यक्ति बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति शेख मुजीबुर रहमान का छोटा भाई था जो बाबा से मिलने आया था। जिसके बाद भारत और पाकिस्तान की 1971 की जंग चढ़ती है और बांग्लादेश का जन्म होता है और उसी के बाद शेख मुजीबुर रहमान बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति बनते हैं।
2- रिजल्ट अल्बर्ट रामदास के द्वारा नीम करोली बाबा के ऊपर एक किताब लिखी गई है। जिसका नाम है मिरेकल आफ लव जिसमें बहुत सारी ऐसी कहानियां है जोकि नीम करोली बाबा के चमत्कार को दिखाती है। इन्हीं कहानियों में से उन्होंने जिक्र किया है कि एक बुलेट प्रूफ कंबल की कहानी है |
जिसमें बताया गया है कि 1943 की द्वितीय विश्व युद्ध की घटना है। 1943 में बाबा एक बार फतेहगढ़ यूपी में बुजुर्ग दंपति के घर अचानक से पहुंचे । वे बुजुर्ग दंपति बाबा के बहुत बड़े भक्त थे । बाबा को वे अपने सामने देखकर बड़े हैरान हो जाते है ।और खुश हो जाते है ।शाम को वे बाबा को खाना खिला कर एक चारपाई पर सुला देते है और ओढ़ने के लिए एक कम्बल देते है ।
दोनो दंपत्ति को रात भर नींद नहीं आती है की वे बाबा की अच्छे से खातिरदारी नही कर पाए । इसके बाद उन्हें अचानक आवाज आती है की बाबा बहुत तकलीफ में है ।वे कंबल ओढ़ कर सोए हुए है , बहुत जोरो से कराह रहे है ।लेकिन उनकी हिम्मत भी नहीं होती है की वे बाबा से कुछ पूंछ ले , कही बाबा की में n खुल जाए । लेकिन बाबा पूरी रात करहाते रहे । सुबह होने के ब बाबा उठते है और जो कंबल था| उसे लपेटकर दंपत्ति को देकर बोलते है की इसे खोलना नही और इसे ले जाकर गंगा पे प्रवाहित कर दो।
और इसके बाद तुम्हारा बेटा एक महीने बाद तुम्हारे पास लौट आएगा। इतना कहने के बाद बाबा वहा से विदा लेकर वहा से चले जाते है । बुजुर्ग दंपति जब उस कंबल को बहाने के लिए गंगा नदी की तरफ ले जाते है , तो उन्हे वह कंबल बहुत भारी लगता है , जैसे उसमे कोई लोहे धातु की कोई चीज होंगी । लेकिन बाबा के आदेश के कारण अपनी जिज्ञासा को दबा लेते है और कम्बल को गंगा में बहा देते है ।
ठीक एक महीने के बाद उनका इकलौता बेटा घर लौटता है , इनका जो बेटा था वह द्वितीय विश्व युद्ध में अंग्रेजों की तरफ से बर्मा फ्रंट पर लड़ाई लड़ रहा था। उस वर्मा फ्रंट पर अंग्रेजी सेना की जापानी सेना से लड़ाई चल रही थी। उसने घर आने के बाद बताया कि कि वह कैसे आया है|
सिर्फ वही बता सकता है क्योंकि उसे उम्मीद नहीं थी कितने भीषण युद्ध और गोलीबारी में वह जिंदा बचकर वापस लौट सके उसने बताया कि ठीक 1 महीने पहले एक दिन रात में अचानक से जापानी सैनिकों ने बहुत बड़ी संख्या में हमला कर दिया और हम जो ब्रिटिश सैनिक थे| वह कम पड़ गए और एक-एक कर हमारे सारे सैनिक मारे गए चारों तरफ गोलियां चल रही थी|
पूरी रात गोलियां चलती रही और सभी गोलीय मेरे आस-पास से निकलती रही लेकिन मुझे एक भी गोली नहीं लगी मैंने अपने आसपास एक-एक करके अपने सभी साथियों को मरते हुए देखा। और सुबह होने से पहले अन्य ब्रिटिश सैनिक की टुकड़ी रिइंफोर्समेंट के लिए बर्मा फ्रंट पर आ पहुंची और उनके आते ही जापानी सैनिक पीछे हट गए और फिर उसकी जान बच गई। और आज वह अपने घर पहुंच गया। तब मां-बाप ने याद किया कि ठीक 1 महीने ही नीम करोली बाबा हमारे घर आए और उस कंबल में रात भर कर आते रहे और सारी गोलियां बाबा ने अपने कंबल में अपने ऊपर ले ली और इसी कारण बाबा पूरी रात कराहते रहे।
ब उन्हें समझाया कि उस रात जो भी उस कंबल के अंदर हो रहा था वही मेरे बेटे के साथ भी हो रहा था और वह सब कुछ अनुभव बाबा यहां हमारे घर में कर रहे थे और हमारे बेटे की जान नीम करोली ने हो बचाई है । अब उन्हें समझ में आया कि उस कंबल जो भारी चीजें लग रही थी वह बंदूक की गोलियां थी।
नीम करौली बाबा कहाँ है?
नीम करोली बाबा कैंची धाम उत्तराखंड में स्थित है और यहां पर भारत देश से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी बहुत बड़ी मात्रा में भक्त आते हैं उनके भक्तों की संख्या में विदेशों में बहुत बड़ी मात्रा में भक्त हैं। और इनके भक्तों में बड़ी-बड़ी हस्तियां शामिल है।
और भी पढ़े :-