एक ऐसी क्रिया जिससे आप अपने शरीर को पूरा कंट्रोल कर सकते हैं और आप शक्तिशाली बन जाएंगे । आप चंद्रभेदी प्राणायाम लगातार 2 महीने करेंगे तो आप खुद महसूस करेंगे कि आपके अंदर कुछ शक्तियां है जो काम कर रही है. आप सभी ने योगी को देखा होगा जो हिमालय पर जाकर तप करते हैं लेकिन तब भी वह बिना कपड़ों के तप ध्यान कैसे कर लेते है, वे जो योग क्रिया उपयोग करते हैं वही योग क्रिया आज मैं आपको भी सिखाने वाला हूं.

इससे आपके शरीर के फिजिकल और नॉन फिजिकली दोनों रोग और दर्द गायब हो सकते हैं अब नॉन फिजिकल और फिजिकल में क्या अंतर है तो फिजिकल यानी कि पैर दर्द कर सकती जुकाम होना लेकिन नॉन फिजिकल होना अर्थात ज्यादा सोचना , स्ट्रेस, पसीने छूटना आदि ।
सूर्यभेदी चंद्रभेदी प्राणायाम
इसके लिए हम आपको सूर्यभेदी और चंद्रभेदी प्राणायाम के बारे में बताएंगे , जो को एक विज्ञान पर आधारित है , जिसका विज्ञान भी हम आपको बताएंगे ।
अभी सूर्यभेदी नाम सुनकर ही आपको यह समझ में आ जाना चाहिए कि यह क्रिया आपके शरीर में ठंडक और गर्मी उत्पन्न करने का काम करती है हम आपको दोनों क्रिया प्राणायाम की विधि साँझा कर रहे है. उसके बाद में आपको आप जानेंगे कि इसका साइंस क्या है और उसके बाद जानेंगे कि कौन व्यक्ति कौन सी क्रिया कर सकता है तो जब यह क्रिया सीखेंगे तो यह क्रिया भी आपको दो-दो पार्ट में सिंखेंगे. एक बेसिक होगी जहां पर जो भी लोग हैं जो ज्यादा नहीं कर सकते वह बेसिक करेंगे और दूसरा एडवांस क्रिया है ।
सूर्यभेदी प्राणायाम
जब आप सूर्यभेदी क्रिया कर रहे है तब आपको अपनी दाहिने नाक की नास्त्रियाल से सांस लेना है , जिसके लिए आपको बाई नाक को बंद रखना है जो की अपने हाथों की उंगलियों से बंद करनी है , जिसके बाद आपको दाहिने नाक से सांसों को भरना है । जिसे धीरे धीरे सांसों को भरना है । अब दाहिने नाक को अंगुलियों से बंद कर धीरे धीरे बाई नाक से सांस को छोड़िए और ध्यान रहे को अपने हाथो की उंगलियों को नाक के सामने न आने दे, उन्हें नाक के ऊपर से होते हुए आंखों के सामने रखे ।

इस क्रिया को एडवांस रूप में करने के लिए आपको सांसे दाहिने नाक से लेने के बाद 5 सेकंड तक सांसों को होल्ड करना रोक कर रखना है । फिर सांसों को छोड़ना है ।
दाहिने नाक से सांस लेना मतलब सूर्यभेदी क्रिया होती है ।
चंद्रभेदी प्राणायाम कैसे करते हैं
चंद्रभेदी क्रिया सूर्यभेदी क्रिया के विपरित क्रिया होती है । जिसमे आपको अपने बाएं तरफ की नाक से सांस लेना होता है । और दाहिने नाक से छोड़ना है । और एडवांस क्रिया में सांसों को 5 सेकंड तक रोककर छोड़ना है ।
हमारा जो शरीर है तो हमारा जो शरीर है उसका जो लेफ्ट साइड है जब हम चंद्रभेदी प्राणायाम करते हैं तब हमारे बाई तरफ से सांस लेते हैं और हमारे दाहिने तरफ सीने में हमारा हृदय होता है और हृदय होने के कारण हमें दाहिने सीने में हृदय के लिए जगह चाहिए होती है एवं हृदय के नीचे जो हमारा फेफड़ा होता है वह फेफड़ा दाहिने फेफड़े की अपेक्षा छोटा होता है। और जब छोटे फेफड़े से सांस निकलती है तो कंप्रेस्ड एयर होने के कारण वह ठंडी हो जाती है।
ठीक इसके विपरीत सूर्य भेदी क्रिया में हम दाहिने फेफड़े से सांस लेते हैं और हमारे दाहिने फेफड़े से सांस निकालकर पूरे शरीर में जाती है। एवं दाहिने फेफड़े के नीचे लीवर यकृत होता है और लीवर को चलाने के लिए गर्मी की आवश्यकता होती है इसलिए आपके शरीर का दाहिना भाग गर्म होता है क्रिया करते हैं तब अपनी दाहिनी नाक से सांस लेते हैं जो की दाहिने फेफड़े अर्थात बड़े फेफड़ों से निकलकर होती हुई गरम भाग से निकलकर होती हुई पूरे शरीर में जाती है ।

चंद्रभेदी प्राणायाम के लाभ
सूर्यभेदी प्राणायाम आपके शरीर में गर्मी पैदा करती है एवं चंद्रभेदी प्राणायाम आपके शरीर में ठंडक पैदा करती है इसी कारण से साधु महात्मा लोग हिमालय की पर्वत श्रेणियां में सूर्य भेदी क्रिया कर अपने शरीर का तापमान बनाए रखते हैं।
सूर्यभेदी प्राणायाम के लाभ
सूर्य भेदी और चंद्रभेदी प्राणायाम का उपयोग हम कई सारी बीमारियों को ठीक करने में भी उपयोग करते हैं जैसे सर्दी के दिन में अपने हाथ पैर ठंडे होने पर एवं सर्दी लगने पर भी हम सूर्य विधि क्रिया का उपयोग कर अपने शरीर को गर्मी दे सकते हैं। गर्मी में लू लगने पर चंद्रवेदी क्रिया कर हम हमारे अपने शरीर को ठंडा कर सकते हैं और अपने शरीर का तापमान मेंटेन कर सकते हैं।