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क्रिया योग क्या है ! यह कैसे सभी ध्यान योग से शक्ति शाली है

हमारा योग विज्ञान कहता है कि मोक्ष पाने के चार मार्ग हैं, भक्ति, बुद्धि, शरीर ऊर्जा और क्रिया योग में आपका स्वभाव के अनुकूल मोक्ष पाने का एक मार्ग है. भावों से जुड़ा भक्ति योग यानी जिस व्यक्ति का स्वभाव भावनात्मक रूप से बनाया गया है, वे भक्ति मार्ग पर चलकर इश्वर से साक्षात्कार करते है | जो महिलाओं के लिए अच्छा होता है. क्योंकि महिलाये पुरुषो की अपेक्षा ज्यादा भावनात्मक होती है |

बुद्धि से जुड़ा व्यक्ति जो तर्क के आधार पर इश्वर के प्रमाण और आध्यात्म को विज्ञानं के रूप में देखता हैं, वैज्ञानिक बुद्धि वाले होते हैं. वे मेडिटेशन के द्वारा ईश्वरीय शक्ति से जुड़कर और आध्यात्म केविज्ञानं को समझ कर सभी प्रश्नों का उत्तर पा लेते है |

क्रिया योग

शरीर से जुड़ा कर्म योंग या कहे हठ योग है जो लोग केवल काम पर विश्वास करते है । उनके लिए यह कर्म उचित है अब ध्यान रखना कर्म योग मतलब यह नहीं की कोई व्यक्ति पशु की तरह मेहनत करता जा रहा है.

केवल हार्ड वर्किंग कर्म योग को नहीं दर्शाता बल्कि योग का मतलब होता है कि आप जो कार्य कर रहे हैं उसे कार्य को आप आनंद में डूब के कर रहे हैं साधारण भाषा में अपने काम को इंजॉय करना बिना किसी इच्छा लोग लालच के कर्म योग कहलाता है.

जीवन की ऊर्जा से जुड़ा क्रिया योग की बहुत ही वैज्ञानिक प्रक्रिया है इसके साथ ही योग को कोई भागों में बांटा जा सकता है, राज योग, मंत्र योग यह सब इन्हीं योगो की शाखाएं हैं।
तो आज हम बात करेंगे एक शक्तिशाली योग की क्रिया योग|

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क्रिया योग क्या है

क्रिया योग बेसिकली राज योग का ही एक हिस्सा है राजयोग एक ऐसी पद्धति है जिसमें सभी योगो का समावेश है क्रिया योग अपने आप में सबसे उच्चतम तकनीक है क्रिया योग एक ऐसी तकनीक है जो काफी प्राचीनतम और रहस्यमयी है और यह रहस्यमयी इसलिए है क्योंकि आप इसे किसी सिद्ध गुरु के बिना नहीं सीख सकते यानी जब तक कोई सिद्ध गुरु आपको क्रिया योग की दीक्षा नहीं देता, किसी भी पुस्तक में क्रिया योग को व्यापक स्तर पर विवरण में नही लिखा गया है ।

क्रिया योग

क्योंकि कुछ विद्याएं उन्हीं लोगों के लिए होती है जिनमें उनकी पात्रता होती है कभी-कभी कौतूहल वश करने पर यह खतरनाक भी होती है लेकिन परमहंस योगानंद जी ने इसे अपने पाठों में शामिल किया है इसके अलावा क्रिया योग की तकनीक खासतौर पर गुरुओं द्वारा अपने शिष्यों को दी जाती रही है और इसी तरह यह पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ती रही किसी भी योग को सीखने से पहले उसका इतिहास जान लेना बहुत जरूरी होता है।

क्रिया योग की विधि

क्रिया योग वैसे तो योग और प्राणायाम की प्राचीनतम विधि है लेकिन धीरे-धीरे इतिहास में एक बार ऐसा समय भी आया जब क्रिया योग की यह कल्याणकारी विधि समय के साथ-साथ विलीन हो गई| यह विधि हिमालय के कुछ संतो तक सिमट कर रह गई जिसमें से एक प्रमुख नाम महावतार बाबा जी का है, 1861 में महावतार बाबा जी जिन्हें अमर गुरु भी कहा जाता है| कहा जाता है वे आज भी जीवित है। और कुछ विशेष योगियों को दर्शन भी देते हैं यहां तक की दीक्षा भी देते हैं.

1861 में महाअवतार बाबा जी ने श्याम चरण लाहीरी जी को क्रिया योग की दीक्षा देकर आधुनिक युग में फिर से इसका पुनः उत्थान किया। और फिर इस घटना के करीब 100 साल बाद श्री श्री परमहंस योगानंद ने एक पुस्तक ऑटोबायोग्राफी ऑफ़ योगी में क्रिया योग का जिक्र किया और क्रिया योग को एक विश्वव्यापी पहचान दिलाई।

महावतार बाबाजी क्रिया योग


तो असल में क्रिया योग क्या है परमहंस योगानंद जी के शब्दों में कहा जाए कि अन्य सभी विधियां अगर बैलगाड़ी के समान है तो क्रिया योग हवाई जहाज की गति के समान है क्योंकि क्रिया योग मानव के योग के विकास की गति काफी तेज कर देता है और भगवान कृष्ण ने भी क्रिया योग के बारे में भागवत गीता में कहा है अपनी बाहर जा जाने वाली भीतर जाने वाली सांसों पर समर्पित कर एक योगी अपनी दोनों सांसों को तटस्थ करता है।

क्रिया योग

इस प्रयोग से वह अपने जीवन शक्ति को अपने हृदय से निकलकर अपने कंट्रोल में ले लेता है। क्रिया योग एक वैज्ञानिक तकनीक है जो एक्चुअली एक प्राणायाम है। जो हमारे शरीर में मौजूद प्राण धाराओं के नियंत्रण का सर्वोत्तम मार्ग बन सकता है निरंतर चलने वाली
क्रिया विधि

ऑक्सीजनकरण की निरंतर चलने वाली प्रक्रिया को स्थापित करती है जो अशुद्ध रक्त में अवशिष्ट कार्बन को जला देती है और इससे आपके अशुद्ध रक्त का फेफड़ों में जाना उसे अनावश्यक बना देती है जिसके फल शुरू हमारा हृदय अपने गति को रोक कर एक विश्राम की अवस्था में जा सकता है जिसे होता यह है आपके शरीर में मौजूद पांचो इंद्रियों में प्राण संचालन रुक जाता है इससे आपको अंतरिक्ष शक्तियों का बोध होता है|

क्रिया योग कैसे करे

क्रिया योग करने हेतु आप एकांत में सवासन अवस्था लेटकर या मुद्रासन में बैठकर सभी विचारो से दूर होकर ध्यान लगाये | मन से सभी विचारो को हटाकर अपनी सांसो पर ध्यान देवे | और धीरे धीरे अपने शरीर के अंगो पर से ध्यान हटावे और अपने शरीर के अंगो से तनाव को पूरी तरह से छोड़ दीजिये | और सांसो को अधिक गहराने दीजिये जिससे की आप १ मिनट में लगभग ४ या ५ बार ही साँस लेने की अवस्था को पा लीजिये |

इस प्रकार अपनी सांसो पर ध्यान देकर मन कोकेंद्रित करते है जिससे की हम सबकंसियास लेवल पर पहुच जाते है | आपको यह प्रक्रिया रोज प्रतिदिन करना है जिससे की आपके शरीर में कार्बन रहित रक्त की मात्र बढती है और आक्सीजन की मात्र बढती जाती है | अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे स्वामी विवेकानंद जी ने भी अपनी पुस्तक राजयोग में भी क्रिया योग का वर्णन किया है.

स्वामी विवेकानंद जी ने कहा कि मनुष्य अपने मन का ही गुलाम हो गया है मनुष्य का मन जो सिद्ध करता है. मनुष्य उसे देने की पूरी कोशिश करता है और उसे देता है तो उसके लाड प्यार ने इस मन को बिगाड़ दिया है और फिर इसके बाद यह मन आप पर अपनी मनमानी करता है.

क्रिया योग एक ऐसी ध्यान विधि है जिससे आपका मन आपके कंट्रोल में आ जाता है । फिर आप अपने मन को जो भी निर्देश देंगे पर मन उसे मानेगा और एक घड़ी ऐसी आती है जब इस मन की अनुपस्थिति हो जाती है। नो माइंड की अवस्था मिलती है ।


इस संसार में आने का एक ही मकसद है वह है सेल्फ अवेयरनेस अर्थात आत्म जागरूकता जो व्यक्ति स्वयं को जान लेता है तो वह व्यक्ति परमात्मा को भी जान लेता है और इसके बाद मनुष्य जन्म मरण के चक्कर से मुक्त हो जाता है श्री श्री परमहंस योगानंद जी कहते हैं कि क्रिया योग का मार्ग सभी के लिए नहीं है यह उन्ही के लिए है जिनमे सत्य को पाने की प्यास अधिक है और वह इसके लिए कुछ भी कीमत दे सकते हैं क्रिया योग आपके आध्यात्मिक जीवन की समाप्ति करता है क्योंकि इसके बाद जानने के लिए कुछ बचता ही नहीं है आप विलीन हो जाते हो।

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